मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ और ‘सैटेनिक वर्सेस’ जैसे उपन्यासों के लेखक सलमान रुश्दी गंभीर ज़ख्मों के साथ अस्पताल में भर्ती हैं। शुक्रवार को अमेरिका में एक साहित्यिक कार्यक्रम में भाषण देने के लिए मंच की ओर जाते वक्त उन पर एक युवक ने चाकुओं से हमला कर दिया था।
हमले में उनकी एक आंख और लिवर को नुकसान पहुंचा है। शुरू में उन्हें वेंटिलेंटर पर रखा गया था,लेकिन अब उनकी हालत थोड़ी सुधरी है,अब वो बात कर पा रहे हैं।
रुश्दी की किताब ”सैटेनिक वर्सेस” 1988 में आई थी, इस पर आरोप लगे कि ये किताब पैग़ंबर मोहम्मद का अपमान करती है। प्रकाशन के एक साल बाद 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह रुहुल्लाह खमेनई ने उनकी हत्या का फतवा जारी कर दिया, इसके बाद रुश्दी एक दशक तक अज्ञातवास में रहे, हालांकि इस दौरान ब्रिटिश एजेंसियां उनकी सुरक्षा में लगी हुई थीं।
रुश्दी ने अपने गोपनीय ठिकानों को छोड़ कर 1990 के दशक के आखिरी सालों में बाहर निकलना शुरू कर दिया था, वह भी तब, जब ईरान ने 1998 में कहा कि वह रुश्दी की हत्या का समर्थन नहीं करेगा।
शुक्रवार को हमले के बाद रुश्दी के समर्थन में अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों की सरकारों के बयान आए।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक दुनिया के नामचीन लेखकों ने भी इस घटना की निंदा की,लेकिन भारत सरकार ने इस घटना पर चुप्पी साध रखी है।
भारत के मुस्लिम समाज के नेताओं और नामचीन लोगों ने भी रुश्दी पर हमले के मामले पर बोलने से परहेज़ ही किया है। बेंगलुरू में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रुश्दी पर हमले के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, ”मैंने भी इस बारे में पढ़ा है। मेरा मानना है कि यह एक ऐसी घटना है,जिसका पूरी दुनिया ने नोटिस लिया है, और ज़ाहिर है इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।”
कुछ नेताओं में निजी तौर पर रुश्दी पर हमले की निंदा की है उनमें माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पार्टी के मीडिया चीफ पवन खेड़ा और शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी शामिल है, लेकिन ना बीजेपी और ना मोदी सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान दिया।