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छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार के मुखिया क्यों कहलाते हैं "गौरक्षक"?

छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल आज अपना 61 वा जन्मदिन मना रहे है। प्रधानमंत्री, राज्यपाल सहित देश के हर क्षेत्र से जुड़े प्रमुख लोग उनको बधाई दे रहे हैं।
वही कांग्रेस जन अपने मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर कहीं ‘निशुल्क स्वास्थ्य शिविर’ का आयोजन कर रही है, तो कहीं सेवा समपर्ण दिवस के रूप में मना रही है।

भूपेश बघेल के जन्मदिन पर आज जो सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय है ‘छत्तीसगढ़ का विकास मॉडल’ ।
जिसकी तारीफ कुछ दिन पहले स्वयं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी की थी, राजनीतिक गलियारों में इसके अलग अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़ विकास मॉडल’ में ‘गौ रक्षा’ के क्षेत्र में किए गए कामों की भी तारीफ हो रही है।

गौ माता भारत की राजनीति का हमेशा से मुख्य बिंदु रही है। 2014 के बाद गाय पर एक अलग तरह की बहस छेड़ने की कोशिश हुई है। इसको लेकर सरकार और विपक्ष हमेशा से आमने-सामने रहे हैं । प्रधानमंत्री अपने भाषणों में ‘गौ रक्षा’ के लिए प्रोत्साहन करते दिखे हैं तो वहीं विपक्ष का आरोप है मध्य भारत में भाजपा के लिए गौ ‘मम्मी’ है तो नॉर्थ ईस्ट में वो ‘यम्मी’ बन जाती है।

उत्तर प्रदेश की ही बात कर ले तो 2022 के विधानसभा चुनाव में छुटा पशु एक प्रमुख मुद्दा था , और ‘गौ माता’ को लेकर सभी प्रमुख दलों ने कुछ न कुछ अपने मेनिफेस्टो में शामिल किया था। साथ ही विपक्ष का आरोप था सरकार गौ रक्षा और सेवा के नाम पर ढोंग कर रही है ।
तो वही कांग्रेस गौ सेवा से जुड़े कार्यो के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की तारीफ करती रही है।

आइए जानते है छत्तीसगढ़ सरकार गाय को लेकर क्या क्या योजना चला रही है ?

गोधन न्याय योजना
जिसको लोग आम भाषा मे गोबर खरीद योजना के नाम से जानते है । आपको बता कि 2 साल पहले ‘हरेली पर्व’ के दिन ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी की शुरुआत हुई थी। गोबर के गोठानों से अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर प्लस कम्पोस्ट, महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जा चुका हैं।
जिससे प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।

2 साल में 300 करोड़ रुपये की गोबर खरीदी
‘गोधन न्याय योजना’ से एक तरफ किसानों को आर्थिक मजबूती मिली है तो दूसरी तरह महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत, गो-मूत्र की कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाने से समूहों को रोजगार और आय का एक और जरिया मिला है। जीवामृत और गो-मूत्र का उपयोग किसान रासायनिक कीटनाशक के बदले कर सकेंगे, जिससे कृषि में कास्ट लागत कम होगी। उत्पादन में विषाक्तता में कमी आएगी। इस योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों से लगभग 2 सालों में 283 करोड़ से अधिक की गोबर की खरीदी की गई है। गोबर से वर्मी खाद का निर्माण एवं बिक्री से महिला स्व-सहायता समूहों और गोठान समितियों को 143 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है।

चार रुपये लीटर गोमूत्र की खरीदी
दो साल पहले गोबर खरीदी की शुरुआत करने के बाद भूपेश सरकार ने हरेली पर्व पर ही गौ-मूत्र खरीद योजना का शुरुआत किया।
जिससे छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया जहाँ पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपये किलो में गोबर खरीदी के बाद अब चार रुपये लीटर में गौ-मूत्र की खरीदारी कर रही है। गोबर के बाद गौ-मूत्र खरीदीने की पहल से राज्य में पशुपालन के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देना है।

जैविक खाद को बढ़ावा मिला
गौमूत्र और गोबर खरीदने से जहां एक तरफ ग्रामीण पशुपालकों को आर्थिक मदद मिला तो वही महिला स्वयं समूह सहायता को रोजगार भी मिला । साथ ही साथ इससे जैविक खाद के निर्माण से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है इससे राज्य के किसानों को कम कीमत पर जैविक कीटनाशक सहजता से उपलब्ध कराया जा रहा है।

यति यतन लाल सम्मान
छत्तीसगढ़ शासन ने यति यतनलाल की स्मृति में गौ-रक्षा यति यतनलाल सम्मान की शुरूआत की है। जिसके तहत 2 लाख रुपए का पुस्कार दिया जाता है। प्रदेश सरकार इसके तहत गौ पालन को धनार्जन की दृष्टि से लाभदायक बनाने , खुले में चराई की रोकथाम और सड़कों पर जहाँ- तहाँ आवारा घूमते पशुओं के प्रबंधन के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण के बेहतरी के लिये एक स्वागत योग्य पहल है ।

 

– दयानन्द मिश्रा

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