जल संचयन और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के घूमने-फिरने के स्थल के लिए केंद्र सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवरों के निर्माण की योजना बनाई गई थी। इसके पीछे मनरेगा मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने की भी मंशा शामिल थी, लेकिन अयोध्या में अभी यह योजना बदहाली की भेंट चढ़ चुकी है। यह हाल तब है जब शासन ने इसे शीर्ष प्राथमिकता के तहत निर्माण कराए जाने के निर्देश दिए थे। योजना लागू होने के बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा ताबड़तोड़ भूमि पूजन का कार्य तो कर दिया लेकिन निर्माण को लेकर किसी ने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक अमृत सरोवर निर्माण योजना की उत्तर प्रदेश के अयोध्या जनपद में काफी बदहाल स्थित में है। 15 अगस्त की निर्धारित तिथि बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रथम चरण में चिन्हित 419 अमृत सरोवरों में से मात्र 38 का ही निर्माण हो सका है। इन 38 अमृत सरोवरों में से अधिकतर अभी भी आधे-अधूरे बने हुए हैं। सबसे बुरी हातल जनपद के बीकापुर ब्लॉक की है, जहां अब तक केवल चार अमृत सरोवर ही बन सके हैं। यहां 22 सरोवरों का निर्माण किया जाना है।
जनपद के प्रथम चरण में 11 ब्लॉकों की ग्राम पंचायतों में 419 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जाना था, जिसे हर हाल में 15 अगस्त तक पूरा किए जाने के निर्दश दिए गए थे। बावजूद इसके अभी तक सिर्फ 38 अमृत सरोवरों का ही निर्माण किया जा सका है। इनमें से अधिकतर की खुदाई तो हो गई है, लेकिन योजना के तहत निर्धारित संसाधन और व्यवस्था नहीं उपलब्ध हो सकी है। यही कारण है कि जिले में 15 अगस्त को एक भी अमृत सरोवर पर अमृत महोत्सव के तहत आयोजन नहीं किया जा सका। इस बहुउद्देशीय योजना की मानिटरिंग की जिम्मेदारी पंचायत सचिवों को सौंपी गई थी और इस संबंध में सीडीओ की ओर से आठ बार रिमाइंडर जारी किया गया। इसके बाद भी अभी तक निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है।
सीडीओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बीकापुर ब्लॉक में 22 के स्थान पर मात्र चार अमृत सरोवर बन सके है वह भी अधूरे। शेष पर अभी तक काम ही नहीं शुरू हुआ। वहीं सोहावल ब्लॉक में 36 के स्थान पर तीन सरोवर ही बन सके हैं। पूराबाजार में तो अयोध्या विधायक ने आधा दर्जन अमृत सरोवरों का भूमि पूजन किया, लेकिन 44 की जगह आठ ही बन सके हैं। इसी तरह हैरिंग्टनगंज ब्लॉक में 28 की जगह सिर्प दो, रूदौली ब्लॉक में 57 की जगह पांच, मिल्कीपुर ब्लॉक में 67 की जगह पांच, मया में 54 की जगह एक भी अमृत सरोवर नहीं बना है। मसौधा में 22 के स्थान पर केवल 3 अमृत सरोवर बन पाए हैं। इसी तरह अमानीगंज में 54 की जगह दो सरोवर बने हैं। बताया जा रहा है कि जिन जहां जमीन आसानी से मिल गई वहां भूमि पूजन कर थोड़ा बहुत काम शुरू करा दिया गया, लेकिन जहां जमीन नहीं मिली वहां स्थल चयन की दोबारा कोशिश ही नहीं की गई।
इस तरह से विकसित होने थे अमृत सरोवर
अमृत सरोवरों को मुख्य रूप से जल संचयन के लिए बनाया जाना है जहां बारिश का पानी एकत्र हो सके। इसके अलावा इसे एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी ढाला जाना है। जहां घूमने-फिरने के लिए उचित वातावरण, पौधरोपण, बेंच और बच्चों के लिए झूले आदि की व्यवस्था होनी है। इन सब संसाधनों को पंचायतों को व्यवस्था करनी है। इसे अलावा जनप्रतिनिधि भी संसाधन जुटाने में सहयोग कर सकते हैं। हालांकि अभी तक यहां इसे लेकर किसी ने भी हाथ आगे नहीं बढ़ाया है।
खूब की गई अनदेखी
दिशा-निर्देश है कि अमृत सरोवर की नींव का पत्थर स्वतंत्रता सेनानी या उनके परिवार के सदस्य या शहीद के परिवार (स्वतंत्रता के बाद) स्थानीय पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोगों से रखवाया जाएगा। अगर ऐसा कोई नागरिक मौजूद नहीं होगा तो उस खास जगह के या ग्राम पंचायत के सबसे विशिष्ट नागरिक से करवाया जाएगा। जबिक यहां एक का भी भूमि पूजन दिशा-निर्दश के तहत नहीं हुआ है। अधिकतर जगह स्थानीय विधायक द्वारा ही भूमि पूजन किया गया।