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राकेश टिकैत के इस 75 घंटे वाले प्रदर्शन की क्या है मुख्य मांगे, जानें लखीमपुर का हाल

लखीमपुर एक बार फिर से चर्चाओं में क्योंकि राकेश टिकैत ने प्रदर्शन का बिगुल बजा दिया है, दरअसल भारतीय किसान यूनियन टिकैत ग्रुप के बैनर तले लखीमपुर खीरी में राजापुर कृषि-उत्पादन मंडी समिति में 75 घंटे वाले विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन हुआ है।

18 अगस्त को सुबह 11 बजे से शुरू हुआ यह विशाल धरना प्रदर्शन करीब 75 घंटे तक चलेगा। करीब तीन दिन से ज्यादा चलने वाले इस धरना प्रदर्शन में 31 संगठनों के जत्थेदारों के शामिल होने की बात कही जा रही है। प्रशासन ने भी इस धरना प्रदर्शन को लेकर खूब तैयारियां की हुई हैं।

पिछले साल 3 अक्टूबर को जिले के तिकुनिया इलाके में बेक़सूर किसानों को कुचल दिया गया था,जिसमे चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने, साल भर के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की भी मांग किसान कर रहे हैं।

इस धरना प्रदर्शन में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के किसान शामिल हो रहे हैं। धरने के चलते मंडी स्थल में भारी तादाद में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। धरना स्थल पर एक किसान नेता से बात की तो उन्होंने बताया कि राकेश टिकैत सुबह ही लखीमपुर पहुंच चुके थे उनके अलावा भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह भी यहां मौजूद रहेंगे।

इन मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं किसान

बेगुनाह किसानों की रिहाई,केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त किया जाए, फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिया जाए, किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाए, तिकुनिया समझौते के अनुसार यहां घायल किसानों को 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान हो, जिले में फसल खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त में बिजली मिले,किसानों का उनकी जमीनों पर मालिकाना हक हो।

पंजाब के हजारों किसान गाड़ियों और ट्रेनों में सवार होकर यहां पहुंच रहे हैं। किसानों का यह प्रदर्शन लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने की मांग और राज्य में किसानों के ऊपर दर्ज मामलों को रद्द करने की मांगों को लेकर हो रहा है। इनके अलावा भी किसानों की कई मांगें हैं।

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