दयानंद मिश्र
76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है की हम नए संकल्प के साथ नई दिशा की ओर कदम बढ़ाए. इस मौके पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद किया और कहा कि उन्होंने “ जय जवान-जय किसान” का नारा दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें विज्ञान शब्द जोड़ा था।
पीएम मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है जब हम इस नारे में अनुसंधान शब्द जोड़ दें.लेकिन अब सवाल ये है कि क्या नए अनुसंधान , रिसर्च के लिए सरकार के पास पर्याप्त बजट है। ये तो आने वाले वक्त में पता चल जाएगा, लेकिन अगर आज की स्थिति देखें तो केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 2022-23 के केंद्रीय बजट में 14,217 करोड़ रुपये दिए गए हैं जो पिछले साल की तुलना में 3.9 प्रतिशत कम है। इससे कुछ वर्षों से लगातार कम किया जा रहा है।
बता दे अभी भारत सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत अनुसंधान और विकास पर खर्च करता है। यह चीन के 2 प्रतिशत, जापान के 3.4 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमेरिका के 2.7 प्रतिशत की तुलना में बहुत कम है। हाल में ही भारत सरकार ने जरूरी अनुसंधान के वैज्ञानिक उपकरणों पर GST 5% से बढ़ा कर 18% कर दिया।
अब सवाल ये है कि क्या इन परिस्थितियों का अनुसंधान कहा तक पहुँच पाएगा। इसी तरह अगर बात करें शिक्षा बजट की तो भारत में एजुकेशन एक्सपेंडिचर, जीडीपी का 3.5 फीसदी है। तो वही अन्य राष्ट्र ब्रिटेन में यह खर्च जीडीपी का 5.2 फीसदी तो अमेरिका में 5.5 फीसदी है। बात करे अगर कॉपी कलम किताब की जो स्टेशनरी के दायरे में आती है उस पर भी सरकार ने 18% का भारी-भरकम जीएसटी लगा दिया है ।