उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यूपी के प्रतिव्यक्ति आय दोगुना करने का बयान सफेद झूठ एवं हास्यास्पद बताया और कहा कि महंगाई की मार से त्रस्त प्रदेश की जनता के चेहरे से मुस्कान गायब है और माथे पर चिन्ता लकीरें झलक रही हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री का यह बयान उनके दर्द का मजाक उड़ाने जैसा है।
उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में खाने-पीने की आवश्यक वस्तुओं से लेकर दवाई, खेेती किसानी, स्कूली बच्चों की फीस, कॉपी व किताबें, डीजल पेट्रोल, सीएनजी, पीएनजी, खाद, बिजली, इत्यादि सबकी कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इससे लोगों की लागत दो से तीन गुना बढ़ गई है। आमदनी और रोजगार के अवसर में कमी आई है। उनका बयान यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता के दुख दर्द से कोई सरोकार नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. उमा शंकर पाण्डेय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी बातों, एवं नारों द्वारा आंकड़ों में बाजीगरी कर उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि धरातल पर महंगाई और बेरोजगारी ने लोगों की कमर तोड़ रखी है। बैकिंग सेक्टर सरकार की अनाप-शनाप कार्यक्रमों की मार से परेशान हैं उन पर कार्य का दबाव पहले से ही बहुत ज्यादा था। ऐसे में जनधन खातों जैसी तमाम योजनाओं ने उन पर यह दबाव और बढ़ा दिया जिससे उनकी कार्यकुशलता प्रभावित हुई किन्तु जनता को कोई भी फायदा नहीं हुआ।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के दोगुना होने का दावा भी तथ्य से परे है। वर्ष 2016-17 में भी तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र के बाद यूपी देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश था। यूपी में प्रतिव्यक्ति आय में दोगुना की बढ़ोत्तरी का दावा भी सफेद झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है। वर्ष 2016-17 में प्रदेश की प्रतिव्यक्ति मासिक आय महज 3655/- रुपये थी जो वर्ष 2020-21 में 3718 रुपये रही। ऐसे में योगी जी का दावा झूठे नारों और आंकड़ों की बाजीगरी में शेर, धरातल पर ढेर जैसा है। वर्ष 2016- 17 में 9.99 लाख लोग सरकारी नौकरियों में थे जिनकी संख्या वर्ष 2021-22 में घटकर 9.44 रह गयी। सेन्टर फॉर माॅनिटरिंग इण्डियन इकोनॉमी के आंकडे़ बताते हैं कि यूपी अप्रैल 2017 तक 5.57 करोड़ लोगों के पास रोजगार था दिसंबर 2021 तक इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। महज 2 लाख नये लोगों ने अपना रोजगार शुरू किया। इस दौरान बेराजगारी दर दोगुनी से अधिक हो गयी। मार्च 2017 में यूपी में बेरोजगारी दर जहां 2.4 प्रतिशत थी वह दिसंबर 2021 में बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गयी।