लखनऊ। आसमान में उमड़ रहे बादल किसानों को रिझाकर लौट रहे हैं। मानसून की बेरुखी से सिंचाई का संकट गहराने लगा है। सिंचाई पर खर्च का बोझ भी बढ़ता जा रहा है सावन माह में हुई हल्की बारिश से किसानों में कुछ उम्मीद बंधी थी लेकिन सावन के आखिरी सप्ताह के बाद से लगातार हो रही तेज धूप से किसानों की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है।
हालंकि मौसम विभाग के अनुसार आसमान में आर्द्रता बनी हुई है जिससे लोग पसीने से तर-बतर हो रहे हैं। लेकिन बारिश होने का नाम ही नहीं ले रही है इससे किसानों के साथ-साथ आमजन की भी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। स्थिति यह है कि शुक्रवार को पूरे प्रदेश में मात्र 1.9 मिमी बारिश हुई है जबकि औसत सामान्य वर्षा 10 मिमी होनी चाहिए। जून 2022 से अब तक 251.7 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य से 44 प्रतिशत कम है। जून 2022 से अब तक 449.1 मिमी बारिश होनी चाहिए। यदि शुक्रवार की बारिश देखें तो सबसे ज्यादा बारिश ललितपुर में 60.7 मिमी हुई। वहीं 22.5 मिमी बारिश चित्रकूट में हुई। इसके बाद कहीं भी आठ मिमी से अधिक बारिश नहीं हुई है। अधिकांश जिलों में तो बारिश नदारद ही रही।
वहीं, आर्द्रता को देखें तो शनिवार को दोपहर 14:00 बजे तक प्रयागराज की आर्द्रता 92 प्रतिशत, बहराइच की आर्द्रता 72 प्रतिशत, बरेली की आर्द्रता 73 प्रतिशत, गोरखपुर की आर्द्रता 66 प्रतिशत, झांसी की आर्द्रता 85 प्रतिशत, लखनऊ की 77 प्रतिशत, मेरठ की आर्द्रता 74 प्रतिशत रही।