उत्तरप्रदेश की राजनीति और यहां के मंत्रियों के चर्चे तो खूब होते हैं। पर क्या आप जानते है की योगी सरकार के कई ऐसे मंत्री हैं जिनपर कई बड़े आपराधिक मामले दर्ज हैं। आज हम आपको योगी के कुछ ऐसे ही मंत्रियों के बारे में बताने जा रहे हैं।
आर्म्स एक्ट के 31 साल पुराने मामले में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान दोषी करार दिए गए हैं. मंत्री राकेश सचान ने कानपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. मंत्री राकेश सचान को एक साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उनपर 1500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. साथ ही यूपी सरकार के कैबिनेट में राकेश सचान के बाद डॉ.संजय निषाद पर भी कानून की तलवार लटक रही है। गोरखपुर की एक अदालत ने कसरवल कांड में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(ADR) ने योगी आदित्यनाथ की पूरी मंत्रिपरिषद को स्कैन किया है. एडीआर रिपोर्ट की मानें तो योगी आदित्यनाथ के 52 में 22 मंत्रियों का आपराधिक रिकॉर्ड है. प्रतिशत में बात करें तो 49% मंत्री दागी है, इन मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमे हैं. मौजूदा योगी सरकार में 20 मंत्री ऐसे हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं. ADR ने गंभीर अपराध उसे माना है, जिन धाराओं में 5 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान हो. इस प्रकार योगी सरकार में 44% मंत्री ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं.
केशव प्रसाद मौर्य, कपिल देव अग्रवाल, नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी पर 7-7 आपराधिक मुकदमे हैं. इन मंत्रियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमे हैं. दूसरे नंबर पर दयाशंकर सिंह हैं. इनपर 5 आपराधिक मुकदमे हैं, इसमें कई गंभीर धाराएं शामिल हैं. इन मुकदमों में अगर इन मंत्रियों को सजा हो जाए तो उनकी विधायिकी चली जाएगी, चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग जाएगा.
मुख्यमंत्री बनने से पहले तक योगी आदित्यनाथ पर कई मुकदमे थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने मुकदमे वापस ले लिए. योगी आदित्यनाथ पर कब्रिस्तान की जमीन पर अतिक्रमण करने, दंगा करवाने का भी मुकदमा था. जिसे उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में वापस ले लिया था. फिलहाल अभी योगी आदित्यनाथ बेदाग छवि के नेता है.